कभी थे सरकार,
अब मांग रहे अधिकार
रोहतास पर राज करने वाले खरवार-चेरो राजाओं का इतिहास, उनकी सभ्यता व संस्कृति काफी समृद्ध रही है। नायक प्रताप धवल, बिक्रम धवल से लेकर उदयचंद ने यहां राज किया। आज उन्हीं के वंशज दाने-दाने को मोहताज होकर अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं। अशिक्षा, लाचारी, भूख व बेबसी से त्रस्त अधिकांश आदिवासी एकजुट होने की रणनीति बना रहे हैं।
शाहाबाद गजेटियर में रोहतास क्षेत्र के आदिम जनजातियों में प्राचीन काल से ही सांस्कृतिक एवं बौद्धिक क्रांति की बात मिलती है। आदिम जनजातियों में खरवार, शबर, भर व चेरो प्रमुख थे। खरवारों का आधिपत्य सासाराम, रोहतासगढ़, भुरकुड़ा [शेरगढ़], गुप्ताधाम सहित सम्पूर्ण पहाड़ी पर था। चेरो राजाओं के आधिपत्य वाले क्षेत्र में देव मार्कण्डेय, चकई, तुलसीपुर, रामगढ़वा, जोगीबार, भैरिया और घोषिया, जारन-तारन रहा।
12-13वीं सदी में गहड़वाल शासन के अंतर्गत ख्यारवाला वंश [खरवार] का शासन आया। 19 अप्रैल 1158 ई. को तुतला भवानी [तुतराही] में इसी वंश के महानायक प्रताप धवल देव जपिलिया ने पहला शिलालेख तुतला भवानी मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर लगाया। इसमें अपने राज परिवार के साथ जपला से रोहतास तक नायक होने की बात कही गई है।
क्षेत्र के सामाजिक-सांस्कृतिक बनावट पर शोध कर चुके डा. श्याम सुंदर तिवारी की माने तो फ्रांसिसी बुकानन ने अपनी यात्रा वृतांत के दौरान बांदू शिलालेख को पढ़ा था। जिसमें प्रताप धवल देव के अतिरिक्त रोहतास गढ़ पर शासन करने वाले 11 खरवार के नाम का उल्लेख है।
रोहतास और उसके आसपास की पहाड़ियों में छोटे-छोटे भागों पर इनके वंशजों का राज था। कैमूर पहाड़ी पर भी इनका आधिपत्य था और इनकी राजधानी भी रोहतास गढ़ में रही है। वन संपदाओं पर इनका अधिकार सदियों से चला आ रहा था।
स्वतंत्रता के पूर्व से इनके अधिकारों में कटौती होती गई। स्थिति यहां तक आ गई कि ये रोजी-रोटी के लिए भी मोहताज हो गए। वनों से इनका अधिकार समाप्त हो गया। ईमानदारी, कर्मठता व परिश्रम के लिए जाने-जाने वाले आदिवासी अब शक की निगाहों से देखे जाने लगे हैं। गरीबी और लाचारी के कारण उग्रवाद भी इनके बीच पनप रहा है ,l
पूर्वज करुष या कारुष थे, जो बाद में करुवार कहलाए। यह अपभ्रंश होकर ख्यारवार व खरवार हो गया। पुराणों में इन्हें 'विंध्य पृष्ठ निवासिन' कहा जाता है। यह जाति सदियों पुरानी है और उसमें राजा के गुण होते हैं।
के लोग बहुत ही साहसी और निडर हुआ करते थे, हाँ अक्षर ज्ञान न होने के कारन, हमारे पूर्वजो के साथ ज्याजति किये पढ़े-लिखे सामंतवादी लोग, सनातन धर्म के लोगो का हमारे पूर्वजो के ऊपर कोई जोर नहीं चलता था, वो निर्भीक, निडर हुआ करते थे, और समन्तियो धर्म वाले हमसे, जलते थे और साथ में डरते भी थे कि कही हम उनपे भरी ना पद जाये इस लिए वे मुगलो के साथ मिल कर हमारा पूर्वजो का नरसंघार करने लगे, हमारे जाती के लोग तितत्-बितर हो गए सभी अपने काबिले को छोड़ कर दूसरे-दूसरे जगह पे पलायन हो गए, तब से अब तक हम अपना वजूद आज तक ढूंढ रहे है हम जंगली काबिले के लोग है, जो मुगलो के आने बाद से बिखर गए, उसके बाद हमारे समाज के बचे कूचे लोगो को अमंतवादियो ने हमारा हक, अधिकार, हमारे सब कुछ छीन लिए, फिर हमारे पूर्वजो को दर-दर भटकना पड़ा, हम राजा हरिश्चंद्र के बेटे रोहित के वंसज है,
गंगा नदी के इस पार जो लोग भाग कर आ गए, जो लोग अपने साथियो का साथ ना दे सके, अपने परिवार के बचे खुचे लोगो के प्यार और अपनापन उन्हें सताने लगी, वे लोग क्या करते, ना उनके पास कोई धन-दौलत, ना कोई रोजगार, मजबूरन अपने और अपने परिवार के लोगो का पेट पलने के लिए, रसोइया बन गए, (हमारे पूर्वजो के अंदर एक कला थी बहुत स्वादिस्ट खाना बनाने की) मर्द रसोइया हो गए सामंतियो के यहाँ और औरते उनके घरो का जूठन साफ करने लगी, और बाद में अपनी जिंदगी बचाने के लिए वे अपनी जात छिपाये, वही से सुरु हुआ, काम करने वाला-काम करने वाला-काम करने वाला, बोलते बोलते कमकर हो गए....
www.facebook.com/kharwarpariwar
very nice information.......greetings from Sahibganj, Jharkhand
जवाब देंहटाएंThanks bro
जवाब देंहटाएंDarbhanga Maharaj Kameshwar Singh were of Kharwar roots. He was th
जवाब देंहटाएंGood research and good thinking I am very impresed Narsinhramkharwar
जवाब देंहटाएंऔर लम्बा इतिहास खोजने का प्रयास करेंगे?
जवाब देंहटाएंRight
हटाएंVery good
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा भाई
जवाब देंहटाएंGood
जवाब देंहटाएंSir ji
Thanks
जवाब देंहटाएंखरवार जाट जाति में भी गोत्र है
जवाब देंहटाएंखरवार व कग्रु जातियों का DNA में R1 होने के कारण रिसर्चर इन दोनों जातियों को उत्तर भारत के पंजाब,हरियाणा,राजस्थान व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आर्यों के नजदिकी मानते हैं ।
जानकर अच्छा लगा हमें खरवार जाती का इतिहास ।
जवाब देंहटाएंseva johar
जवाब देंहटाएंWelcome kherwar bhai bahno ko
जवाब देंहटाएंHme bhi aCha lga kharwar ka history read kr k
जवाब देंहटाएंBhut hi acchi jankari .. Log kahte the ham pahle se garib h lakin nhi ham bhi rajao k khandan se talluk rakhte h
जवाब देंहटाएंDanwad aapka
जवाब देंहटाएंThank you sir kharwar samaj ki kitni gotra hai mujhe aaj tak pata nahi hai mai ek kharwar hun Mai janna chahta hun meri gotra kya kya hai
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंHme bhi ty bhai ji
हटाएंThank you sir kharwar samaj ki kitni gotra hai mujhe aaj tak pata nahi hai mai ek kharwar hun Mai janna chahta hun meri gotra kya kya hai
जवाब देंहटाएंKharwar kharwar se Sadi kar leta har samaj aisa nahi hai lekin kharwar samaj may na to gotra ka pata hai na to bansaj ka pata hai
जवाब देंहटाएंGotra chandrvansi
हटाएंGotra
हटाएंKashyap
Ranjay Kharwar,-welcome
जवाब देंहटाएंChhatri hai & rhege
जवाब देंहटाएंBikhar kar dusron ke yahan kam karne ke karan hi kamkar kahlaye, kharwar mare purwjon ne bataya hoga
जवाब देंहटाएंखरवार एवम् कहार दोनों अलग अलग जातियां हैं
हटाएंखरवार एवम् कहार दोनों अलग अलग जातियां हैं
हटाएंखरवार और खतवार same hai क्या?
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंSanatan dharm kaun hai bhai bhosdi ke
हटाएंAise hi itihas khojne ka prayas Kare aur apne samaj ko khoi Hui pahachan delayed Jai hind
जवाब देंहटाएंBhai sab khairvar samaj ki kya gotra hai aor khairvar kis jaat samaj se shadi kar sakta hai maine es par kai tipdin kiya hai lekin abhi tak mujhe koi jabab nahi mila hai
जवाब देंहटाएंPawan kharavar
जवाब देंहटाएंGood serve
जवाब देंहटाएंMai manoj kumar kharaab mai ye janana chahata hu karwar kis wansh me aate hai
जवाब देंहटाएंसूर्यवंशी
हटाएंसूर्यवंशी hia hmm mikke खरवार
हटाएंखरवार सूर्यवंश से आते हैं जिनका गोत्र खड़ग बंशी हैं । राजा हरिश्चंद्र के पुत्र रोहित के वंशज हैं इसका प्रमाण 12 वीं सदी में खरवार के राजा प्रताप धवल कि एक शिलालेख से मिलता है
हटाएंKya aapko Itihaas pata hai
हटाएंमुझे एक सवाल पूछना था, १खरवार जाती है या टाइटल?
जवाब देंहटाएंअगर जाती हैं तो बिहार के कैमूर में खरवार की cast सर्टिफिकेट में(चंद्रवंशी,कहार,कमकर) क्यो लिखता हैं ब्लॉक में, अगर हम लोग क्षत्रिय समाज के सूर्यवंश के वंशज हैं राजपूत हुए हम सब तो (राजपूत genaral)(खरवार obc),? *खरवार प्रमाण पत्र में -:सूर्यवंशी (खरवार),चंद्रवंशी(खरवार),कहार(खरवार) ऐसे होना चाहिए
जैसे:-जाति प्रमाणपत्र में
नाम- क्षत्रिय गणेश सिंह खरवार , गणेश सिंह राजपूत जाति- सूर्यवंशी(खरवार)
ऐसे हमारी जाती क्यो नही बनाती सरकार अगर नही सुन रही हैं खरवार समाज की बाते वोट नही दो अपना हक लेना है खरवार आदिवाशी मिल के 60/70% वोट रुक जाएगा
मेरे सवालो का जवाब जरूर दीजिये ओर ईमेल करिये ओर खरवार की बहुत website बनाये की किसी जाति का सर्च हो पहले खरवार राजपूत आए
Kya aapko Itihaas pata hai
हटाएंखरवार एवम् कहार दोनों अलग अलग जातियां हैं
हटाएंगणेश जी आपने एकदम सत्य बात लिखा है आपने मेरे मन की बात लिख दी लेकिन क्या करें हमारी समाज में कुछ ऐसे लोग हैं उसे कुर्सी की लालसा पड़ी है अभी तक हमें अधिकार मिल जाता मैं अपना नाम अरुण सिंह खरवार लिखता हूं मेरा मोबाइल नंबर 88 75 775457 है हमें हमारी खरवार जाति को सिंह हम लगा सकते हैं लेकिन कुछ लोग बोलते हैं हां हमारे सिंह नहीं लगता है लेकिन गलत बोलते हैं कैमूर जिला के अंदर कुर्मी जाति जो निवास करती है वह भी एक पानी भरने वाली जाती है जिस की स्थिति आप दरभंगा समस्तीपुर मधुबनी किशनगंज आदि जिलों में देख सकते हैं लेकिन अपने आप को यह टाइटल लगाना नहीं भूलते हैं कैमूर जिला में ठीक है इन लोगों के पास में जमीन अधिक है इसलिए इनका जमींदार ही राज है बाकी यह अपने मुंह में ही बड़ा बने हुए हैं सर धन्यवाद आप सिंह लगाइए आने वाली पीढ़ी भी में भी सुधार होगा जब मैं अपना नाम खरवार लिख रहा हूं और बीच में सिंह लगा रहा था उसमें समस्या क्या है
जवाब देंहटाएंHamari total population kitna hai up and bihar and jharkhand me
जवाब देंहटाएंहम भी कम कर खारवाल हैं हमारा उधर कैसे होगा हम दाने-दाने के लिए मोहताज है घर में किसी को नौकरी नहीं है
जवाब देंहटाएंखरवार परिवार में स्वागत है
जवाब देंहटाएंइसका स्त्रोत भी बताते तो ज्यादा अच्छा होता। राजा हरिश्चंद्र का अस्तित्व साबित हुआ नहीं और उसके संतान पहले पैदा हो गये।
जवाब देंहटाएंJai kharvar
जवाब देंहटाएंमेरा बस यही सवाल है जाती सर्टिफिकेट किस श्रेणी में बने।gen,obc.sc.ya st me
जवाब देंहटाएंKya koi aisa hai jo Hamare bare ma Bata sake
जवाब देंहटाएंBahut khoob mai mp se hu mughe garv hai
जवाब देंहटाएंAap log ki batey achha laga Mai Gopal Singh kharwar
जवाब देंहटाएंThanks sir
जवाब देंहटाएंAdhikar India me milta nahi jai
Chhinna padta hai all Kharwar family
Mangesh$ Kharwar Singh
Mb no.9294889369
जय हिन्द
जवाब देंहटाएंHm sabko ek hokar fir se ldna hoga
जवाब देंहटाएंहम सब मिलकर एक होकर कुछ करेंगे तब ही कुछ हो सकता है
जवाब देंहटाएंऔर हमे आप सब बताये कि जाति प्रमाणपत्र बन रहा है कि नहीं
बन रहा है तो किसमें (जनरल। या ओबीसी मे। या येशी येशटी मे) jarur bataye hm Roshan Kharwar up jila chandauli Kadirabaad ke mo..no..9956805318
* सिसोदिया दर्पण *
हटाएं________________________________
सिसोदिया राजपूत
वनाम
* बंगी वैश्य *
वैश्य (VAISH/VAISHYA), मोदी MODI / साह SAH / गुप्ता GUPTA / साहा SAHA / सरकार SARKAR / लाल LAL / प्रसाद PRASAD / राय RAI / ROY / सिंह SINGH / राणा RANA / सिसोदिया SISODIA / SISODIYA वैगेरह टाइटिलों से अपने को संबोधित करते हैं।
--------------------------------------------------------
** सिसोदिया दर्पण **
बंगाल बनियां / बंगाली बनियां / बंगार बनिया / बंग वैश्य / बंगी वैश्य कहलाने वाले इस समाज के लोग अपना गोत्र कोई -कोई - अनुमान / अलुमान / अल्युमान / हनुमान बताते हैं असल में इनके पुर्वजों ने जब मेवाड़ से महाराणा प्रताप जी को अकबर से युद्ध के बाद जंगलों की खाक छाननी पड़ गई और सारे सेना तितर बितर हो गये सिसोदिया राजपूतों ने मुंगलो के साथ अपना रिस्ता करना नहीं स्वीकार किया तो उसमें से बहुत परिवार वालों ने मेवाड़ छोड़ कर देश के अलग-अलग हिस्सों में पलायन कर गए अपना जाति-गोत्र को छिपाने काम काम किए क्योंकि मुगल सेना सघन खोज कर रहे थे सिसोदिया राजपूतों को उन्हें इस्लाम कबूल करवाने उनके बहन/बेटियों से विवाह करने पर विवश करना अन्यथा जान मारा जाना।ऐस में कुछ परिवारों / टोलियों के लोगों ने वहां पलायन कर बंगाल के मुर्शिदाबाद में आए फिर वहां से फिर अलग-अलग जगहों पर बिखर गए उन गांवों और शहरों की सूची अगले अंक में प्रकाशित किया जाएगा। गजब की बात तो यह भी है कि ये लोग किसी दूसरे जाति से वैवाहिक संबंध नहीं स्वीकार किया और आपस में समगोत्री विवाह भी करते आ रहे हैं उस दौरान इन सभी के पुर्वजों पहचान के लिए अपना गोत्र : "अनुमान" बताया ताकि अपने जाति को पहचान सकें।
आश्चर्य की बात तो यह है कि कितने तो इस जाति के परिवार वालों ने अपने को "गंर्दव" जो पिछड़ी जाति एनेक्शर एक में आता है का जाति प्रमाण पत्र धोखे से बनाने में सफल हुए वे लोग सरकारी नौकरियां भी पाने में सफल भी हुए और लाभांवित हो रहें हैं वैसे परिवार के लोग नहीं चाहते हैं कि सत्य उजागर हो क्योंकि उन्हें इस धोखेबाजी का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
मूलतः यह जाति सिसोदिया राजपूत है ।
जाति : सिसोदिया राजपूत
गोत्र : कश्यप
बिहार में इस जाति के लोग किन-किन गांवों-शहरों में हैं उसकी सूची अगले अंक में प्रकाशित किया जाएगा।
(पुनः अगले अंक में) kripya mera madad karo
खरवार्,खेरवार्,खैरवार् एक हि है यह सभी अदिवासी है इनका जाति प्रमाण पत्र (अनुसुचित् जन जाति) ST मे बन रहा है CG
हटाएंआप सभी खैरवार् समाज के सभी सदस्य को मेरा प्रणाम आप सभी से अनुरोध है कि अपने नाम के बाद खैरवार् जरुर लिखें ज़ैसे:-जामुन सिंह खैरवार् इससे हमारे समाज कि पहचान् हो सके हम एक सूर्य वंसज क्षत्रिय है तो हम सूर्यवंशी है।
Madad kijiye * सिसोदिया दर्पण *
जवाब देंहटाएं________________________________
सिसोदिया राजपूत
वनाम
* बंगी वैश्य *
वैश्य (VAISH/VAISHYA), मोदी MODI / साह SAH / गुप्ता GUPTA / साहा SAHA / सरकार SARKAR / लाल LAL / प्रसाद PRASAD / राय RAI / ROY / सिंह SINGH / राणा RANA / सिसोदिया SISODIA / SISODIYA वैगेरह टाइटिलों से अपने को संबोधित करते हैं।
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** सिसोदिया दर्पण **
बंगाल बनियां / बंगाली बनियां / बंगार बनिया / बंग वैश्य / बंगी वैश्य कहलाने वाले इस समाज के लोग अपना गोत्र कोई -कोई - अनुमान / अलुमान / अल्युमान / हनुमान बताते हैं असल में इनके पुर्वजों ने जब मेवाड़ से महाराणा प्रताप जी को अकबर से युद्ध के बाद जंगलों की खाक छाननी पड़ गई और सारे सेना तितर बितर हो गये सिसोदिया राजपूतों ने मुंगलो के साथ अपना रिस्ता करना नहीं स्वीकार किया तो उसमें से बहुत परिवार वालों ने मेवाड़ छोड़ कर देश के अलग-अलग हिस्सों में पलायन कर गए अपना जाति-गोत्र को छिपाने काम काम किए क्योंकि मुगल सेना सघन खोज कर रहे थे सिसोदिया राजपूतों को उन्हें इस्लाम कबूल करवाने उनके बहन/बेटियों से विवाह करने पर विवश करना अन्यथा जान मारा जाना।ऐस में कुछ परिवारों / टोलियों के लोगों ने वहां पलायन कर बंगाल के मुर्शिदाबाद में आए फिर वहां से फिर अलग-अलग जगहों पर बिखर गए उन गांवों और शहरों की सूची अगले अंक में प्रकाशित किया जाएगा। गजब की बात तो यह भी है कि ये लोग किसी दूसरे जाति से वैवाहिक संबंध नहीं स्वीकार किया और आपस में समगोत्री विवाह भी करते आ रहे हैं उस दौरान इन सभी के पुर्वजों पहचान के लिए अपना गोत्र : "अनुमान" बताया ताकि अपने जाति को पहचान सकें।
आश्चर्य की बात तो यह है कि कितने तो इस जाति के परिवार वालों ने अपने को "गंर्दव" जो पिछड़ी जाति एनेक्शर एक में आता है का जाति प्रमाण पत्र धोखे से बनाने में सफल हुए वे लोग सरकारी नौकरियां भी पाने में सफल भी हुए और लाभांवित हो रहें हैं वैसे परिवार के लोग नहीं चाहते हैं कि सत्य उजागर हो क्योंकि उन्हें इस धोखेबाजी का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
मूलतः यह जाति सिसोदिया राजपूत है ।
जाति : सिसोदिया राजपूत
गोत्र : कश्यप
बिहार में इस जाति के लोग किन-किन गांवों-शहरों में हैं उसकी सूची अगले अंक में प्रकाशित किया जाएगा।
(पुनः अगले अंक में)
जय जोहार
जवाब देंहटाएंइतिहास को देखते हुवे खरवार पर सभी सरकार से अनुरोध है कि खरवारो को इतिहास गवाह है राज घरने से रहते हुवे भी दाने दाने मुहताज हैं खरवारो के उपर आगे लाने के लिए सरकार को कुछ अलग से करना चाहिए ।
मै विनय सिंह खरवार जिला अध्यक्ष
पलामु
Mo No 6201882834
जय जोहार जय खैरवार् 🙏🙏🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंJai kharwar jai bhawani
जवाब देंहटाएंKuldevta ya kuldevi ke baare me bhi bataye
जवाब देंहटाएंKhairwar jati ka itihas jankar accha laga
जवाब देंहटाएंKya Jaunpur me jo hi kharwar h
जवाब देंहटाएंReally kshatriy hai
जवाब देंहटाएंSach me kshatriy hai kharwar
जवाब देंहटाएंकमकर जाति का इतिहास बताए
जवाब देंहटाएं🙏🙏 up मे
मै पंजाब से हु मै भी खरवार हु और रहु गा जय हिंद जय भारत जय खरवार 🙏🙏🙏स्पोर्ट करो सभी हमको खरवार अभी भी है 😎💪💪👌
जवाब देंहटाएंDilip singh kharwar
जवाब देंहटाएंमुझे गर्व है मैं खरवार हूं अपना गोत्र कश्यप मुझे जानकर खुशी हुई सभी खरवार भाइयों को अपने नाम के आगे सिंह लगाकर लिखो अपना खरवा समाज को प्रकाशित करोऔर सभी नियम का पालन करो और जो जानकारी मुझे इस गूगल द्वारा मिला है सभी भाइयों को इस पर विचार करना जरूरी है हमारा समाज हमारे जाट को बहुत कम मानती है इसीलिए अपने जात को छुपाओ मत कई हजारों वर्ष से यह जाति दबी हुई है इसको संसार में समाज में आगे बढ़ाना है धन्यवाद दिलीप सिंह खरवार
जवाब देंहटाएंजय जोहार मय Raj Kumar Singh kharvar परिवार MO. 6202653285
जवाब देंहटाएंजय जोहार का अर्थ क्या है इसका मतलब बताए
हटाएंDist-Chandauli se hu Mai bhi kharwar hu Lekin ham log ka cast certificate nhi ban Raha hai please ham log ka margdarshan kare (all kharwar union)
जवाब देंहटाएंMain renukoot Uttar Pradesh Sonbhadra , gram mundwa ka Rahane wala hun mera naam Manish Kumar kharwar hai main bhi Apne jaati se Anjan tha aaj mujhe bhi Google ne Bata Diya ki mere purvaj bhi rajaon ke vanshaj Hain aur ab main main Garv se a kah sakta hun ki mera naam Manish Kumar kharwar Singh hai kyunki main Apne jaati se Anjan tha aaj mujhe pata chal gaya hai kintu aap sabhi kharwar bhaiyon se nivedan hai ki ki Apne jaati ka naam ujagar Karen aur sabhi bhai kharwar jaati ko support Karen aur unka kharwar jaatiyon ko shikshit banaen dhanyvad aap sabhi kharwar bhaiyon se yah ummid rahegi.
जवाब देंहटाएंजय खरवार जय जोहार जय बंनदेवी
जवाब देंहटाएंJay Kharwar samaj
हटाएंMai bhi kharwar hu mera name Bhola singh kharwar h jai kharwar
जवाब देंहटाएंJai ho kharwar
जवाब देंहटाएंयदि खरवार राजपूत है तो हमें ओडिसी में क्यों गिना जाता है
जवाब देंहटाएंयदि खारवाल राजपूत है तो इन्हें ओबीसी में क्यों गिना जाता है तथा हमें राजपूतों से अलग क्यों समझा जाता है
जवाब देंहटाएंVery very thanks brother. I'm from Latehar Jharkhand.
जवाब देंहटाएंजय जौहर
जवाब देंहटाएंMai bhi kharwar hu Jay kharwar.
जवाब देंहटाएंKharwar Rishan Kumar (Bihar)
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